क्या रासा अरब की सबसे पुरानी मस्जिद है? क्या इस यहां पर शिवलिंग और नंदी की आकृतियां बनी हुई हैं? दरअसल, इस तरह की पोस्ट व्हाट्सऐप और फेसबुक पर काफी वायरल हो रही है। अमात्य फोरम नाम से बने व्हाट्सऐप ग्रुप और I Support Modi Ji and BJP नाम से बने फेसबुक पेज पर इस तरह की पोस्ट की गई है। इसमें एक इमारत की फोटो डालकर यह लिखा गया है,
रासा अरब की सबसे पुरानी मस्जिद है। लाल घेरे को जूम करके देखिए आपको शिवलिंग और नंदी साफ दिखाई देंगे। सउदी अरब सरकार ने अरबी में गीता रिलीज की थी। यहां तो भारत माता की जय बोलने से इस्लाम खतरे में आ जाता है।

The News Postmortem की टीम को जब इस पोस्ट के बारे में पता चला तो उसने इसका Fact Check किया। सबसे पहले हमने इस दावे की सच्चाई पता की, जिसमें यह कहा गया है कि रासा अरब की सबसे पुरानी मस्जिद है। Google पर हमने oldest mosque in saudi arabia कीवर्ड से सर्च किया। इसमें पता चला कि सउदी अरब की सबसे पुरानी मस्जिद का नाम क्यूबा है। मतलब रासा सउदी अरब की सबसे पुरानी मस्जिद नहीं है। विकीपीडिया से पता चला कि क्यूबा सउदी अरब की पुरानी मस्जिद है। इतना ही नहीं यह इस्लाम में स्थापित सबसे पुरानी मस्जिद भी है।

अब बात आती है कि आखिर किसी और पुरानी मस्जिद का नाम तो रासा नहीं है। शायद यह किसी और देश में हो। इसके लिए हमने फिर Google को खंगाला। विकीपीडिया पर पुरानी मस्जिदों की लिस्ट निकलकर सामने आ गई। इसमें क्यूबा मस्जिद का भी जिक्र था। इसमें सउदी अरब, फ्रांस, केन्या, तंजानिया समेत कई देशों में स्थित पुरानी मस्जिदों की जानकारी दे रखी थी। पूरी लिस्ट देख मारी लेकिन रासा नाम की कोई पुरानी मस्जिद नहीं मिली। मतलब दुनिया में भी रासा नाम की किसी पुरानी मस्जिद का कोई निशान नहीं मिला।

पोस्ट की सच्चाई जानने के लिए हमने Google को और खंगाला। इसके लिए रिवर्स इमेज का सहारा लिया गया। Google के टूल रिवर्स इमेज में फोटो अपलोड करने पर हमें दो—तीन रिजल्ट मिले। Hoax Slayer नाम से बने वेरीफाइज फेसबुक पेज पर हमें इस पोस्ट की भी जानकारी मिली। 19 अप्रैल 2016 की पोस्ट में इसका जिक्र किया गया। इसमें भी की गई पड़ताल में पता चला था कि सउदी अरब में सबसे पुरानी मस्जिद का नाम रासा नहीं है। इस नाम की कोई मस्जिद नहीं है।

इसके साथ ही नवभारत टाइम्स के ब्लॉग सेक्शन में 3 अगस्त 2016 को लिखा गया कि इसे उस समय किसी पुनीत शर्मा (@iSharmaPuneet) के ट्विटर हैंडल से भी पोस्ट किया गया था। इसमें बताया गया कि सउदी अरब में रासा नाम की कोई मस्जिद नहीं है। इसमें दावा किया गया कि एक ट्विटर यूजर राजशेखर हल्लूर (RajuHallur) ने पोस्ट किया कि यह तस्वीर नॉर्थ कर्नाटक की है। फोटो को जूम करने पर इसमें इमारत के पीछे एक आॅटो या जीप जैसी किसी गाड़ी में कुछ लोग लदे हुए दिख रहे हैं, जो सउदी अरब के तो नहीं लगते हैं। एक ट्विटर यूजर ने इसको कर्नाटक के बागलकोट की एक जगह बताया।
Google पर ही कुछ और जासूसी करने पर हमें factcrescendo पर भी इस बारे में जानकारी मिली। हालांकि, यह आर्टिकल तमिल में था। इसका गूगल पर ट्रांसलेट करने पर हमें यह पता चला कि इस फोटो को www.tripadvisor.com पर 2015 में अपलोड किया था। इसे दिल्ली—आगरा टूरिज्म को ध्यान में रखते हुए पोस्ट किया गया था। हालांकि, यह किस जगह की फोटो है, इस बारे में कोई और जानकारी नहीं मिली।
Postmortem रिपोर्ट: फिलहाल इस पड़ताल से यह तो पता चला कि सउदी अरब में रासा नाम की कोई मस्जिद नहीं है। यह फोटो भी देखने से इंडिया की ही लग रही है। मतलब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही यह पोस्ट फर्जी है।