सोशल मीडिया पर बिना प्रमाणिकता के खबरों का मिलना आम बात है. लोग बिना जाने ही धड़ाधड़ उसे शेयर करने लगते हैं. पिछले कई दिनों से या यूं कहें कि कई महीनों से ऐसी पोस्ट व्हाट्सएप्प, फेसबुक पर वायरल हो रही है. इसमें यह दावा किया जा रहा है कि सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने बिना मान्यता के चलने वाले पोर्टल और फर्जी पत्रकारों पर मुकदमा करने की बात कही है. यह पोस्ट न सिर्फ वायरल हुई बल्कि कई अखबारों ने भी इसे अपनी साइट पर लगा दिया. हमें एक पत्रकार ने यह पूरी पोस्ट भेजकर इसका सच पता लगाने को कहा.

The News Postmortem ने इस वायरल मैसेज की पड़ताल शुरू की. वायरल पड़ताल में सूचना प्रसारण मंत्रालय और मंत्री प्रकाश जावेडकर का हवाला दिया गया. इसमें लिखा गया है,देश भर में प्रेस आई कार्ड लेकर घूम रहे ऐसे पत्रकारों पर मुकदमा दर्ज होगा. वायरल मैसेज को हमने जब गूगल पर सर्च किया तो हमें कई पोस्ट मिली. इनमें इस तरह की खबरें थीं. बिल्कुल हुबहू यही शब्द. राज एक्सप्रेस नामक पोर्टल ने इस खबर को 21 अप्रैल 2020 को अपनी साइट पर लगाया है. उसमें भी सूचना प्रसारण मंत्री का हवाला दिया गया है. इसके बाद एक और लिंक एंटीकरप्शनन्यूजइंडिया का मिला. उसमें भी 19 अप्रैल 2020 को यही वायरल मैसेज हुबहू मिला.

हमने गूगल पर और सर्च किया तो उपदेश टाइम्स समाचार पत्र का फेसबुक पेज मिला. वहां भी 19 अप्रैल को ये वायरल मैसेज मिला. इसमें भी यही सब लिखा तो जो मैसेज वायरल हो रहा है.
चूंकि हर वायरल मैसेज में सूचना प्रसारण मंत्रालय और मंत्री प्रकाश जावेडकर का जिक्र था, तो हमने MIB की साइट पर इस तरह का पत्र या सूचना ढूंढी, नहीं मिली. यही नहीं अगर मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस की थी तो किसी भी मेन स्ट्रीम मीडिया में यह खबर नहीं थी. इसके बाद हमने प्रेस इन्फोर्मेशन का अधिकृत ट्विटर हैंडल खंगाला तो वहां हमें 2 जुलाई 2020 का एक ट्वीट मिला. इसमें इस तरह के वायरल हो रहे मैसेज को पूरी तरह फेक बताया गया. इसमें लिखा गया ऐसा वक्तव्य न प्रस्तावित है और न ही दिया गया.
Postmortem रिपोर्ट: तो भैया इस पड़ताल में जो दावा किया जा रहा है वो पूरी तरह गलत है. न सूचना प्रसारण मंत्री और न मंत्रालय ने कभी इस तरह का कोई प्रस्ताव दिया है. यह वायरल मैसेज पूरी तरह फेक है.
Well done