केंद्र सरकार द्वारा पारिक कृषि बिल के विरोध में बीते साल 26 नवम्बर से पंजाब और हरियाणा के लाखों किसान सिंधु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से इस बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस दौरान सरकार और किसानों के बीच 9 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है। वहीँ इस बीच सोशल मीडिया पर किसान आन्दोलन को लेकर कई तरह पोस्ट वायरल हो रहीं हैं, जिनमें आन्दोलन पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसी के तहत ही एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है जिसमें किसान आन्दोलन में बुर्का पहने मुस्लिम महिलाओं का समूह है,इन्हें फर्जी किसान बताते हुए खूब शेयर किया जा रहा है।
The News Postmortem ने वायरल हो रही तस्वीर की पड़ताल शुरू की। ट्विटर पर ये तस्वीर हमें टिंकू नामक यूजर के प्रोफाइल पर मिली। इसे 15 जनवरी को शेयर किया गया था, जिसमें कैप्शन भी था…
ये वहीं हैं…जो कागज नहीं दिखाएंगे
#Khalistan #khalistani #FarmersProtestHijacked #Ghazipur #border #FarmersProtest #किसान_आंदोलन #Tikait
इसी कैप्शन के साथ ये पोस्ट फेसबुक पर भी खूब शेयर की जा रही है। ये पोस्ट 15 जनवरी को काजल कुमारी नामक अकाउंट से इन्हीं कैप्शन के साथ शेयर की गयी।
ये वहीं हैं…जो कागज नहीं दिखाएंगे
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हमने वायरल हो रही तस्वीर को जब रिवर्स इमेज से सर्च किया तो ये तस्वीर हमें भारतीय किसान एकता यूनियन एकता उग्राहन के फेसबुक पेज पर मिला। तस्वीर को 14 जनवरी को पोस्ट किया गया था। तस्वीर के साथ पंजाबी भाषा में कैप्शन भी था जिसका अनुवाद है ‘किसानों के समर्थन में मुस्लिम समुदाय सामने आया। मलेरकोटला (पंजाब) से मुस्लिम महिलाओं का एक समूह पकोड़ा चौक मंच पर पहुंचा उन्होंने क्रांतिकारी गीत गाए और संबोधित भी किया’।

इस तस्वीर को 14 जनवरी के दिन गाजीपुर बॉर्डर पर लिया गया था। जानकारी के मुताबिक पंजाब के मलेरकोटला की महिलाओं का समूह गाजीपुर में चल रहे किसान प्रदर्शन को समर्थन देने आया था। इस दिन की और भी फोटो संगठन के पेज पर अभी भी मौजूद हैं और जानकारी भी मुस्लिम महिलाओं का समूह मलेरकोटला से आया था। यानी वायरल तस्वीर में जो दावा किया जा रहा है वो गलत है।

Postmortem रिपोर्ट:- पड़ताल में वायरल फोटो का दावा फर्जी साबित हुआ, इससे पहले भी किसान आन्दोलन को लेकर कई फर्जी खबरें और पोस्ट वायरल होचुकीं हैं। जिसका पड़ताल हमने की थी। फ़िलहाल ये पोस्ट पूरी तरह फर्जी है।