क्या महाराष्ट्र की मीठी नदी इतनी प्रदूषित है कि वह प्लास्टिक की बोतलें या वेस्ट से ही पटी पड़ी है? क्या अब तक करीब 1000 करोड़ रुपये उसकी दशा सुधारने के लिए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन आज भी नदी गंदगी से अटी पड़ी है? भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा की कार्यकर्ता और ब्लू टिक वाली नेता प्रीति गांधी ने दो फोटो ट्वीट कर महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार पर निशाना साधा.
प्रीति गांधी ने ट्वीट कर कहा कि गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट का नजारा, जिस पर गुजरात सरकार ने 1400 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. वहीं, महाराष्ट्र में मुंबई की मीठी नदी की तस्वीर, जिस पर बृहनमुंबई मुंसिपिल कारपोरेशन (BMC) और मुंबई मेट्रोपोलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) ने 1000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. एक फोटो में साफ सुथरी नदी का किनारे बना पार्क दिख रहा है, जबकि दूसरी नदी कम और वेस्ट का नाला ज्यादा दिख रही है.

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The News Postmortem ने इसकी पड़ताल के लिए सबसे पहले पहली फोटो को रिवर्स इमेज के लिए गूगल पर तलाशा तो पता चला कि यह साबरमती रिवरफ्रंट पार्क जनता के लिए खोल दिया गया है. sabarmatiriverfront के अनुसार, नदी के किनारे इस पहले शानदार पार्क का काम पूरा हो चुका है. इसका उद्घाटन 16 अक्टूबर 2013 को किया गया था. तब से इसे जनता के लिए खोला जा चुका है.
दूसरी तस्वीर को तलाशने पर पता चला कि यह प्लास्टिक वेस्ट से पटी हुई एक नदी है. Shutter Stock के अनुसार, यह फिलीपींस के मनीला की नदी है. इस फोटो को 6 जनवरी 2008 को लिया गया था. फिलीपींस में गरीबी और कूड़ा निस्तारण बड़े मुद्दे हैं.

पिछल साल जनवरी में lonelyplanet में छपे एक आर्टिकल के अनुसार, यूनिवर्सिटी आॅफ जार्जिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिलीपींस दुनिया का तीसरा सबसे प्लास्टिक प्रदूषण वाला देश है. इस लिस्ट में चीन प्रथम और इंडोनेशिया दूसरे नंबर पर है. यह देश हर साल करीब 1.88 मिलियन टंस प्लास्टिक का उत्पादन करता है. इसकी वजह गरीबी बताई जाती है. करीब 20.8 फीसदी जनता राष्ट्रीय गरीबी रेखा के नीचे रहती है. वहां पांच में से एक अत्यधिक गरीब है, जिसको एक दिन में केवल 2 डॉलर से भी कम मिलते हैं. कई लोगों को रोजमर्रा का सामान बहुत कम मात्रा में खरीदना पड़ता है, जो सिंगल यूज प्लास्टिक में होता है.
मतलब प्रीति गांधी ने जो प्रदूषित नदी की फोटो पोस्ट की है वह फिलीपींस की है. अब बात करते हैं महाराष्ट्र की मीठी नदी की. मीठी नदी का ही बस मीठा है लेकिन यह राज्य की सबसे प्रदूषित नदी है. 18 फरवरी 2019 को The Hindu में छपे आर्टिकल के अनुसार, 2004 को नदी की हालत पर एक रिपोर्ट महाराष्ट्र पोल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को दी गई थी. इसके मुताबिक, यह नदी घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों से गुजरती है. इसमें कई सारे नाले और गंदगी आकर गिरती है, जिस कारण यह नदी महाराष्ट्र का सबसे गंदा नाला बन गई है. 26 जुलाई 2005 को एक दिन में 944 मिमी बारिया हुई, जिसमें 1000 लोगों की जान चली गई थी. बाढ़ के पीछे मीठी नदी के दोनों तरफ हुए अतिक्रमण को काफी जिम्मेदार माना गया था. नदी की अनदेखी की वजह से इसकी चौड़ाई काफी कम हो गई. इस वजह से बाढ़ प्रलयकारी साबित हुई. इसके बाद मीठी रिवर डेवलपमेंट और प्रोटेक्शन अथॉरिटी (MRDPA) का गठन हुआ. पिछले 13 साल में इस नदी की दशा सुधारने के लिए 1000 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं आया.

Curlytales में 28 नवंबर 2020 को छपी न्यूज के अनुसार, बीएमसी ने इसकी सफाई और सौंदर्याकरण के लिए प्लान बनाया है. प्रोजेक्ट के तहत इसको पर्यटन के लिए सुधारा जाएगा. 569 करोड़ रुपये में बीएमसी सबसे पहले इसकी सफाई करके इसे पुर्नजीवन देगी.
Postmortem रिपोर्ट: प्रीति गांधी ने जो दो फोटो पोस्ट की हैं, उनमें एक फिलीपींस में मनीला की नदी की है, जो प्लास्टिक वेस्ट से अटी पड़ी है. हालांकि, मीठी नदी भी महाराष्ट्र की सबसे प्रदूषित नदी है. इस पर 13 साल में करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं लेकिन नदी की हालत नहीं सुधरी.