आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बीते कुछ समय से लगातार चर्चा में हैं. जी हां, सत्तारूढ़ दल लगातार उनकी नीतियों को लेकर उन्हें घेरने में लगे हुए हैं. वहीं इस बीच स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिन्द फौज के संस्थापक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को नजरअंदाज करने का आरोप भी उन पर मढ़ा जा रहा है. कुछ इसी अंदाज में इन दिनों सोशल मीडिया पर सुभाष चन्द्र बोस की वर्दी में फोटो वाली पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इसके साथ यह अपील की जा रही है कि इस नोट को नेहरू ने बंद करवा दिया था, ताकि भारतीय लोग सुभाष चन्द्र बोस को भूल जाएं. इसे इतना शेयर करने की अपील की गई है कि यह नोट वापस शुरू हो जाए.
The News Postmortedm ने इस वायरल हो रही तस्वीर को खंगाला तो कई बातें निकलकर सामने आईं. हमने इस वायरल हो रही तस्वीर को गूगल के टूल रिवर्स इमेज में डाला, जहां से जानकारी मिली कि 10 महीने पहले श्रवण कुमार नामक यूजर ने इसे अपने एकाउंट पर शेयर किया था. एकाउंट के प्रोफाइल में चेक करने पर श्रवण कुमार भाजपा समर्थक नजर आए, जिस पर हमें संशय हुआ कि यह दावा संदिग्ध है.

इसके बाद हमने इस तस्वीर के सम्बन्ध पर keywords सर्च किए, जिसमें हमें The Lallantop और Alt News के लिंक मिले, जिसमें इसी तरह की अपील और फोटो कई और नोटों के साथ की गयी थी. उसमें 10 के बजाय पांच के नोट के बारे में जिक्र था और इन नोटों को बंद करने के लिए नेहरू को ही जिम्मेदार ठहराया था. इन दोनों ही वेबसाइट ने दावों को खारिज किया.
हम इतने से संतुष्ट नहीं थे. हमने भारतीय रिजर्व बैंक के museum में इस नोट को तलाशा. वहां भी किसी ऐसे नोट का जिक्र नहीं है. उसमें 1949 से हाल के 23 सितम्बर 2017 तक नई करेंसी के विभिन्न मूल्य के नोट शामिल हैं. लिहाजा आजाद भारत में इस तरह का कोई नोट प्रचलन में नहीं आया. इसके बावजूद हमने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ट्वीट कर इस पर अधिकारिक जानकारी मांगी है, जो अभी तक नहीं मिली है, जिसे मिलते ही इस खबर में अपडेट कर दिया जाएगा.
अब बात करते हैं कि ऐसे नोट की बात क्यों आई. इसके पीछे तर्क यही है कि सुभाष चन्द्र बोस ने देश को आजाद कराने के लिए आजाद हिन्द फौज का गठन 1942 में किया था. इसके संचालन के लिए उन्हें काफी धन भी चंदे में मिला था. उन्होंने 1944 में आजाद हिन्द बैंक का गठन भी किया था. इस बैंक की स्थापना बर्मा की राजधानी रंगून यानि म्यामार में हुई थी. आजाद हिन्द बैंक ने भी 5 रुपए से लेकर एक लाख तक के नोट छापे थे, लेकिन 1947 में देश के आजाद होने और फिर भारतीय रिजर्व बैंक के अस्तित्व में आने के बाद इस तरह के नोटों का कोई औचित्य नहीं था. इसलिए यह कहना या यह दावा करना कि सुभाष चन्द्र बोस की तस्वीर वाले नोट तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बंद करवाए सरासर गलत है.पोस्टमार्टम रिपोर्ट: पूर्व प्रधानमंत्री पर तस्वीर के आरोप सरासर गलत हैं.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट: पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पर सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर वाले नोट रोकने का आरोप गलत है.