हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन दिन के दौरे पर उत्तर प्रदेश गए थे. इस दौरान वह अपने घर कानपुर भी गए थे. 27 जून को वह अपने गांव परौख भी पहुंचे थे. वहां उन्होंने अपनी पत्नी सविता के साथ पथरी देवी मंदिर में दर्शन करने के बाद गांव वालों को शुक्रिया कहा था. तीन दिवसीय दौरे में उन्होंने अपनी सैलरी का भी जिक्र किया था. इसका वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है.

सोशल मीडिया पर वायरल 1.11 सेकंड के वीडियो में राष्ट्रपति कह रहे हैं कि सरकार उसकी है, जो टैक्स देता है. राष्ट्रपति देश का सबसे ज्यादा बड़ा पेड एंप्लाई है. वह पौने तीन लाख रुपये मतलब 2.75 लाख महीना टैक्स भी तो देता है. उनको पांच लाख रुपये मिलते हैं, उसमें से पौने तीन लाख निकल जाते हैं. उससे ज्यादा तो उनके अधिकारियों को बच जाता है. टीचरों को सबसे ज्यादा बचत होती है.
इसके बाद व्हाट्सऐप पर यह वीडियो तेजी से वायरल हुआ. साथ में दावा किया गया कि राष्ट्रपति झूठ बोल रहे हैं. मैसेज में लिखा गया,
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद चले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह. कैमरे के सामने बोले झूठ, कहा- 5 लाख की सैलरी में पौने तीन लाख टैक्स देना पड़ता है.
जबकि राष्ट्रपति का वेतन टैक्स फ्री होता है.
वीडियो: सोशल मीडिया
The News Postmortem ने इस दावे की पड़ताल के लिए गूगल पर छानबीन की तो The Quint की स्टोरी मिली. इसके मुताबिक, राष्ट्रपति की सैलरी जानने के लिए हमें President’s Emoluments and Pension Act, 1951 को देखना पड़ेगा. इसमें राष्ट्रपति की सैलरी और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाले भत्ते के बारे में जिक्र किया गया है. भारतीय संविधान के आर्टिकल 266 (1) के तहत राष्ट्रपति की सैलरी भारत के कंसोलिडेटेड फंड यानी संचित निधि से दी जाती है. Consolidated Fund का मतलब उस निधि से है, जिसमें सभी तरह के टैक्स से प्राप्त रेवेन्यू, मार्केट से लिए गए लोन और एप्रूव्ड लोन पर मिला ब्याज भी जमा होते हैं. संचित निधि या कंसोलिडेटेड फंड भारत की सबसे बड़ी निधि है.
खबर के मुताबिक, केंद्र सरकार ने वर्ष 2017 में राष्ट्रपति की सैलरी बढ़ा दी थी. इसके बाद महामहिम की तनख्वाह डेए़ यानी 1.5 लाख से बढ़कर 5 लाख हो गई थी. मतलब साल का पैकेज हुआ 60 लाख रुपये. इसके अलावा उनको फ्री आवास और ताउम्र स्वास्थ्य सुविधा जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं.
Factchecker के अनुसार, दिल्ली की एक नॉन प्रॉफिट रिसर्च आर्गेनाइजेशन पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की मृदुला राघवन का कहना है कि राष्ट्रपति की सैलरी, भत्ते और सुविधाएं संसद तय करती है. सैलरी का प्रावधान 1951 President’s (Emoluments) and Pensions Act में दिया गया है. 2018 में फाइनेंस बिल में संशोधन के जरिए महामहिम की सैलरी 5 लाख रुपये महीना कर दी गई थी. न ही संविधान और न ही प्रेसिडेंट्स (इमोल्यूमेन्ट) एंड पेंशंस एक्ट राष्ट्रपति को टैक्स में छूट देते हैं. मतलब यह कहना गलत होगा कि राष्ट्रपति को इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता है. Income Tax Act 1961 के सेक्शन—10 के अनुसार, कोई भी आय, जो इनकम टैक्स के छूट के दायरे में नहीं आती है, उस पर टैक्स देना पड़ता है. इनकम टैक्स से छूट के निम के तहत कई कैटेगिरीज आती हैं लेकिन राष्ट्रपति की सैलरी इनकम टैक्स फ्री होने का कोई जिक्र नहीं है.
अब बात करते हैं करीब कितना टैक्स देना पड़ता होगा राष्ट्रपति को. द क्विंट के मुताबिक, एीए एवं वकील दीपक जोशी का कहना है कि मौजूदा टैक्स स्लैब को देखते हुए 60 लाख रुपये सालाना सैलरी पर 17.60 लाख रुपये का इनकम टैक्स बैठता है. महीने की बात करें तो यह करीब 1.47 लाख रुपये बनता है. इस पर भी अगर उन्होंने कन्सेशनल टैक्स रेट नियम नहीं चुना है तो यह बढ़कर 18.42 लाख सालाना हो जाता है मतलब करीब 1.53 लाख महीना. बात पौने तीन लाख की कटौती की हो तो कहा जा सकता है कि कोविड के दौर में उनको 30 फीसदी कम सैलरी मिल रही हो. इसका मतलब हो सकता है कि राष्ट्रपति को 5 लाख में से 1.5 लाख कम मिल रहे हैं. इनको अगर जोड़ दिया जाए तो पौने तीन लाख की कटौती बनती है.
Factchecker के मुताबिक, आॅडिट फर्म टीपी ओसवाल एंड एसोसिएट्स एलएलपी के मैनेजिंग पार्टनर टीपी ओसवाल का कहना है कि राष्ट्रपति का इनकम टैक्स काफी कुछ उनकी बचत पर भी निर्भर करता है. 2.75 लाख मतलब 50 फीसदी से ज्यादा का इनकम टैक्स. विभाग 35 फीसदी से ज्यादा टैक्स नहीं काटता है. हां, दो करोड़ से ज्यादा की आमदनी पर 42.7 फीसदी टैक्स लिया जाता है. मार्च 2020 में राष्ट्रपति ने अपनी सैलरी पीएम केयर्स फंड में दी थी. इसके अलावा कोरोना से लड़ने के लिए राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और अन्य केंद्री मंत्रियों 2020—2021 की अपनी सैलरी का 30 फीसदी हिस्सा संचित निधि में देने का फैसला लिया था. इस हिसाब से 2020—2021 में राष्ट्रपति की सैलरी 3.5 लाख हो गई.
Postmortem रिपोर्ट: राष्ट्रपति को मिलने वाली तनख्वाह इनकम टैक्स छूट के दायरे में नहीं आती है. सीनियर सिटिजन होने के नाते उनका करीब 30 फीसदी टैक्स कटता होगा. साथ ही कोविड महामारी के दौर में उनकी सैलरी में से 30 फीसदी पे कट भी हुआ है. इसे मिला दिया जाए तो करीब पौने तीन लाख की कटौती उनकी सैलरी में से हुई होगी.