बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन यानी IMA के बीच जुबानी जंग जारी है. 31 मई को भी बाबा रामदेव ने आईएमए पर निशाना साधा. रामदेव ने आईएमए के सामने 25 सवाल रखे हैं तो संस्था की तरफ से बाबा के खिलाफ दिल्ली के आईपी स्टेट थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है. सोशल मीडिया पर भी एक आयुर्वेद और एलोपैथ को लेकर बहस छिड़ी हुई है.
सोशल मीडिया पर एशियन पेंट्स और क्रॉम्पटन बल्ब के पैकेट की फोटो वायरल हो रही है. दावा किया जा रहा है कि इन्हें आईएमए ने प्रमाणित किया है. मानिक परेशर ने फोटो पोस्ट करते हुए लिखा कि जब आईएमए पंखों और पेंट्स को सर्टिफिकेट बांट रहा था, तब बाबा रामदेव कैंसर, डायबिटीज, बीपी और अल्सर के मरीजों का ठीक कर रहे थे. 560 रुपये की कोरोनिल या 5 लाख का अस्पताल का बिल.
अंशुल सक्सेना ने भी यह कोलाज पोस्ट करते हुए लिखा कि क्रॉम्पटन एंटी बैक्टीरियल एलईडी बल्ब 85 फीसदी कीटाणु मार देता है. एशियन पेंट्स रॉयल हेल्थ शील्ड वॉल पेंट्स संक्रमण फैलाने वाले 99 फीसदी बैक्टीरिया को मारता है. दोनों को आईएमए ने प्रमाणित किया है.

कोरोना महामारी के इस दौर में इस तरह का विज्ञापन या दावा काफी आश्चर्यजनक लगता है. The News Postmortem ने इसकी पड़ताल के लिए गूगल पर छानबीन की तो हमें आईएमए का लेटर मिल गया. 7 मई 2019 को जारी इस लेटर के अनुसार, आईएमए लगातार लोगों के भले के लिए काम करता है. रॉयल हेल्थ शील्ड में सिल्वर आयन टेक्नोलॉजी है, जो एंटी बैक्टीरियल है. आईएमए एशियन पेंट्स के प्रोडक्ट रॉयल हेल्थ शील्ड को अपना लोगो इस्तेमाल करने की इजाजत देता है. घर और आॅफिस में संक्रमित दीवारों से बैक्टीरिया और वायरस से होने वाला संक्रमण फैलता है. सिल्वर आयन टेक्नोलॉजी से युक्त पेंट 99 परसेंट बैक्टीरिया को मार देता है.

गूगल पर और छानबीन करने पर हमें The Hindu की एक खबर मिली. पिछले साल मई में यह पब्लिश हुई थी. आईएमए के सेंट्रल कमेटी के मेंबर केवी बाबू का कहना है कि संस्था द्वारा इस तरह के प्रोडक्ट का प्रचार अमर्यादित है. कोरोना के इस दौर में वैसे तो आईएमए सोशल डिस्टेंसिंग, हाथों की सफाई और खांसने या छीकने के समय शिष्टाचार की बात कर रहा था और दूसरी तरफ कॉमर्शियल ब्रांड को इस तरह से अपने नाम का इस्तेमाल करने और पब्लिक को भ्रमित करने की इजाजत दे रहा है. केरल आईएमए के अध्यक्ष अब्राहम वर्गीज का कहना है कि केरला यूनिट इस तरह के प्रचार के खिलाफ है. संस्था के कई सदस्यों ने इसकी खिलाफत की है. पेंट के एक कोट दीवार साफ होती है न कि बैक्टीरिया मरता है या प्रदूषण कम होता है. इस तरह के दावों के पीछे कुछ वैज्ञानिक सबूत नहीं हैं.
खबर के मुताबिक, आईएमए के सेकेट्री आरवी अशोकन ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि संस्था ने एक कानूनी प्रक्रिया के तहत प्रोडक्ट को लोगो के इस्तेमाल की अनुमति दी है. आईएमए ने प्रमाणित किया है कि प्रोडक्ट में एंटी बैक्टीरियल क्वालिटी है न कि एंटी वायरल प्रॉपर्टीज. महामारी के दौर में प्रोडक्ट को सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है. पिछले साल संस्था को यह सर्टिफिकेट दिया गया है. यह एंडोर्समेंट तीन साल के लिए वैध है.
29 जून 2019 को Times Of India में छपे आर्टिकल के अनुसार, आईएमए ने एंटी माइक्राबायल एलईडी बल्ब को सर्टिफिकेट दिया है, जो 85 पसेंटस कीटाणुओं को मारने का दावा करता है. आईएमए के सेक्रेट्री डॉ. आरवी अशोकन का कहना है कि आईएमए उसको सर्टिफाइड करता है, जिसकी तकनीक हेल्थ फ्रेंडली हो. इसके लिए संस्था एक प्रोसेसिंग फीस लेती है. हालांकि, यह नहीं बताया गया कि आईएमए ने अब तक कितने प्रोडक्ट्स को सर्टिफिकेट दिया है या इसके लिए कितनी फीस ली जाती है. आईएमए ने यह भी नहीं बताया कि किस वैज्ञानिक परीक्षण या अध्ययन के आधार पर यह सर्टिफिकेट जारी किया जाता है.
Postmortem रिपोर्ट: आईएमए ने एलईडी बल्ब और एशियन पेंट्स के प्रोडक्ट को सर्टिफिकेट दिया है. हालांकि, इसको लेकर काफी लोगों ने सवाल भी उठाए हैं. इसका क्या वैज्ञानिक आधार है, इस बारे में आईएमए ने खुलासा नहीं किया है. हां, इसकी कुछ प्रोसेसिंग फीस ली जाती है.