मोस्ट वांटेंड आतंकी एवं हिजबुल सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों शाहिद यूसुफ और सैयद अहमद शकील से जम्मू कश्मीर सरकार ने उनकी सरकारी नौकरी छीन ली है. देशविरोधी गतिविधियों और आतंकवादियों से गठजोड़ के आरोप में सैयद सलाहुद्दीन के दोनों बेटों समेत 11 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है. अब सवाल यह उठता है कि किसकी सरकार में आतंकी के बेटे सरकारी नौकरी में आए.
जनार्दन मिश्रा ने ट्वीट कर लिखा,
इस खबर को आग की तरह फैलाओ..
पाकिस्तान में बैठकर भारत में खून की नदियां बहाने की धमकी देने वाला आतंकी सैयद सलाहुद्दीन के 2 बच्चों को फारूक, मुफ़्ती और कांग्रेस ने मिलकर कश्मीर में सरकारी नौकरी दी थी…
आज राज्यपाल ने इनकी नौकरी तात्कालिक तौर पर खत्म करने का आदेश पारित कर दिया है…
The News Postmortem इस पोस्ट की पड़ताल के लिए गूगल पर खोजबीन की. 30 अगस्त 2018 को द लल्लनटॉप में छपी खबर के मुताबिक, 30 सितंबर को NIA ने सलाहुद्दीन के बेटे सैयद शकील अहमद को गिरफ्तार किया था. उस पर 2011 में टेरर फंडिग के आरोप लगे थे. उसके घर से कई आपत्तिजनक दस्तावेज मिले थे. वह श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर हॉस्पिटल में लैब टेक्नीशियन है. अक्टूबर 2017 में हिजबुल चीफ का एक बेटा शाहिद भी इस केस में गिरफ्तार हुआ था. सैयद शकील अहमद राज्य सरकार के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में कार्यरत था. नवंबर 2011 में आतंकी फंडिंग से जुड़े दो मामले दर्ज हुए थे. इसमें 10 लोगों के नाम थे, जिसमें एक सैयद सलाहुद्दीन भी था. इस मामले में सैयद शाह गिलानी को भी गिरफ्तार किया गया था.
30 अगस्त 2018 को india.com में छपी खबर के मुताबिक, श्रीनगर के रामबाग इलाके से सैयद शकील अहमद को गिरफ्तार किया गया था. वहीं, शाहिद यूसुफ सलाहुद्दीन के तीसरे नंबर का बेटा है. मनी लांड्रिंग मामले में NIA उसे पहले गिरफ्तार कर चुकी है. वह दिल्ली की तिहाड़ जेल से बंद है.
16 जुलाई 2916 को अमर उजाला में छपे आर्टिकल के मुताबिक, सैयद सलाहुद्दीन पाकिस्तान में है लेकिन उसका परिवार आराम से कश्मीर में रह रहा है. उसकी पत्नी ताज बेगम पांच बेटे और दो बेटियों के साथ बडगाम के सोईबुग में रहती है. खास बात यह है कि आतंकी के सभी बेटे और बेटियां जम्मू—कश्मीर में या तो सरकारी नौकरी पर हैं या प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं. सलाहुद्दीन के दो भाई गुलाम नबी शाह व गुलाम मोहिउद्दीन शाह भी बडगाम में ही रहते हैं.
29 जून 2017 में Aaj Tak में छपी खबर के अनुसार, सलाहुद्दीन का बेटा शकील शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज में मेडिकल असिस्टेंट है. जबकि दूसरा बेटा जावेद यूसुफ बडगाम में जोनल एजुकेशन आॅफिस में कंप्यूटर आॅपरटर है. तीसरे नंबर का बेटा शाहिद यूसुफ श्रीनगर में एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में काम करता है. चौथे नंबर का बेटा वाहिद शेरे कश्मीर इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज में डॉक्टर है. पांचवां बेटा मुईद इंजीनियर है. हिजबुल चीफ की बेटी नसीमा सरकारी स्कूल में टीचर है जबकि दूसरी बेटी अख्तारा भी शिक्षिका है.
24 अक्टूबर 2017 को BBC में छपे आर्टिकल के अनुसार, शाहिद यूसुफ ने उत्तर प्रदेश के आगरा के आरबीएस कॉलेज से बीएससी एग्रीकल्चर किया है. इसके बाद उसने करीब 6 साल तक शालीमार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में प्रोजेक्ट पर काम किया. 2007 में उसकी कृषि विभाग में ‘रहबर-ए-जिरात’ योजना के तहत नौकरी लगी थी. 2015 में उसका परमानेंट कर दिया गया था.
अब बात करें राज्य में सरकार की तो 2007 में जम्मू—कश्मीर के मुख्यमंत्री की कुर्सी मुफ्ती मोहम्मद सईद के पास थी. इसके बाद 8 जनवरी 2015 तक सत्ता उमर अब्दुल्ला और फिर 1 मार्च 2015 से मुफ्ती मोहम्मद सईद के हाथ में चली गई. मतलब शाहिद यूसुफ की नौकरी के समय पीडीपी उर्फ पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार थी. इसके अलावा उसके भाई बहनों की नौकरी के संबंध में ज्यादा जानकारी हमें नहीं मिली.

Postmortem रिपोर्ट: हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुखिया सैयद सलाहुद्दीन के बेटे और बेटियों को राज्य में सरकारी नौकरी मिली थी. इनमें से दो की नौकरी जा चुकी है. तीसरे बेटे की सरकारी नौकरी मुफ्ती मोहम्मद सईद के कार्यकाल में लगी थी.