कोरोना की दूसरी लहर पूरे देश में कहर बरपाए हुए हैं. आम लोग स्वास्थ्य के साथ ही फर्जी खबरों का भी सामना कर रहे हैं. कई सोशल मीडिया पर दावा यहां तक कर दिया गया कि नेबुलाइजर से आॅक्सीजन की कमी को पूरा किया जा सकता है. The News Postmortem ने इसका ख्ुालासा करते हुए इसे गलत साबित कर दिया है. अब एक और पोस्ट वायरल हो रही है. इसमें दावा किया गया है कि मुर्गा खाने से एक ही परिवार के 7 लोगों की मौत हो गई. न्यूज पेपर की इस कटिंग पर दैनिक जागरण लिखा है.

इसमें लिखा है कि बिहार स्वास्थ्य विभाग ने पोल्ट्री मुर्गी को फिर से जांच कर कोरोना वायरस की पुष्टि की है. इस कटिंग में डेट नहीं दे रखी है. खबर के मुताबिक, बिहार स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार सुबह कई जगह से पोल्ट्री मुर्गी के सैंपल लिए. जहां पर कोरोना वायरस था. विभाग ने लोगों को पोल्ट्री मुर्गा से दूर रहने को कहा है. साथ ही लोगों को हिदायत दी है कि लोग पोल्ट्री मुर्गा खाने से दूर रहें. फार्म मालिकों को भी जल्द ही फार्म बंद करने को कहा गया है. खबर में उन जगहों के नाम दिए गए हैं, जहां से सैंपल लिए गए हैं.
हमारे पास इसकी पड़ताल के लिए मैसेज आया. सबसे पहले हमने खबर पढ़ी थी तो उसमें कई गलतियां हैं. कहीं भी पूर्ण विराम का इस्तेमाल नहीं किया गया है. सैंपल की जगह सिंपल लिखा हुआ है. साथ ही वाक्य भी ठीक से नहीं बने हैं जैसे बिहार स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार के सुबह दस अलग-अलग जगहों से पोल्ट्री मुर्गा का सैंपल पटना ले जाया गया जहां पर पोल्ट्री मुर्गा में कोरोना वायरस थी सामने आई है…. खबर में ढेरों गलतियां देखकर हमें इसके फेक होने का शक हुआ.

इसके बाद हमने गूगल पर इसे मुर्गा खाने से एक ही परिवार के 7 लोगों की मौतए बिहार में मुर्गे से फैला कोरोना वायरस, बिहार स्वास्थ्य विभाग ने पोल्ट्री मुर्गी को पुनः जांच कर कोरोना वायरस की पुष्टि की कीवर्ड से तलाशा तो लल्लनटाॅप की खबर का लिंक मिला. इसके अनुसार, पेपर की कटिंग पर 12 अप्रैल 2020 की तारीख लिखी हुई है. दैनिक जागरण की वेबसाइट पर इस तरह की कोई खबर नहीं मिली. दैनिक जागरण के पटना के तत्कालीन संपादक आलोक मिश्रा ने इस तरह की किसी खबर से इंकार किया. उन्होंने इस कटिंग को फेक बताया.

गूगल पर और छानबीन करने पर हमंे बिहार स्वास्थ्य विभाग की एक पोस्ट मिली. फेसबुक पर 15 अप्रैल 2020 को इसे पोस्ट किया गया था. इसमें वायरल हो रही कटिंग को भी पोस्ट करते हुए इसे फर्जी बताया गया. राज्य स्वास्थ्य समिति ने इसका खंडन किया.

पीआईबी ने भी पिछले साल मार्च में इसक खबर का फैक्ट चेक करते हुए इसे फेक बताया था. इसके अनुसार, पोल्ट्री मुर्गे से कोरोना वायरस फैलने की बात गलत है.
Postmortem रिपोर्टः न्यूजपेपर की यह फर्जी कटिंग पिछले साल वायरल हुई थी. इसका दैनिग जागरण के संपादक, पीआईबी और बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने खंडन किया था. डब्ल्यूएचओ ने भी चिकन से वायरस फैलने जैसी कोई बात नहीं कही है.