भारत में Covid-19 के कुल मामले 10 लाख के पार हो चुके हैं. कोविड—19 के अब रोजाना औसतन 30 हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं. हालांकि, अब Corona के मरीजों की ठीक होने की दर भी बढ़ गई है. इस बीच कोरोना को लेकर लोगों में अब भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है. The News Postmortem की टीम से उनके पाठक Virmendra Sharma ने संपर्क किया. उनके मन में भी कुछ आशंकाएं थी. इसके लिए उन्होंने एक स्क्रीनशॉट देकर उसकी सच्चाई जाननी चाही.

The News Postmortem की टीम ने इसको लेकर पड़ताल शुरू की. स्क्रीन शॉट खुशन सिंह खेम राज नाम से बने Facebook अकाउंट पर शेयर किया गया था. इसमें कई प्वाइंट्स लिखे हुए थे।
— वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी WHO के मुताबिक, कोरोना से कोई भी शाकाहारी मनुष्य संक्रमित नहीं हुआ है।
— इसके साथ में एक और स्क्रीनशॅट भी था. इसमें डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि Gauden Galea का बयान दिया गया है. इसमें लिखा है, जब तक लोग मीट खाएंगे, संक्रमण का खतरा रहेगा.
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इसके बाद हमने इस पोस्ट का पोस्टमार्टम करना शुरू किया. इसमें सबसे पहले हमने डब्ल्यूएचओ की साउथ—ईस्ट एशिया ऑर्गेनाइजेशन के आधिकारिक Twitter हैंडल को खंगाला. इसमें हमें 24 मार्च 2020 का एक ट्वीट मिला. इसमें लिखा था कि ठीक से पकाए गए चिकन को खाने से कोरोना वायरस नहीं फैलता है. हाईजिनिक तरीके और ठीक से बनाया गया चिकन खाना सेफ है. डब्ल्यूएचओ का यह बयान स्क्रीनशॉट में किए गए दावे से बिल्कुल अलग है. मतलब नॉन वेज खाने से भी कोरोना फैलने का खतरा नहीं है. हालांकि, हमें डब्ल्यूएचओ के शाकाहारी वाले दावे से संबंधित कोई भी ट्वीट नहीं मिला।
फिर हमने इस दावे को और जांचने के लिए Google पर खोजबीन की. डब्ल्यूएचओ का स्टेटमेंट जांचन के लिए कीवर्ड डाला तो कई खबरों के लिंक सामने आ गए. Alt News पर पता चला कि मार्च में भी इसी तरह की पोस्ट वायरल हुई थी. इसको लेकर Alt News की टीम ने डब्ल्यूएचओ से ईमेल पर संपर्क किया. इसमें जवाब मिला कि डब्ल्यूएचओ ने इस तरह का कोई भी बयान जारी नहीं किया है. अंतरराष्ट्रीय न्यूज एजेंसी AFP को दिए एक बयान में डब्ल्यूएचओ की रिप्रेजेंटेटिव सुप्रिया बेबरुआ ने ऐसे किसी दावे को खारिज किया था.
The lallantop पर छपी खबर में भी दावा किया गया कि उन्हें भी पड़ताल में डब्ल्यूएचओ की इस तरह की किसी भी रिपोर्ट का प्रमाण नहीं मिला, जिसमें दावा किया गया है कि कोई भी शाकाहारी इंसान कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है।
इसी तरह The Print ने भी इस दावे को झूठा बताया। मतलब इनसे यह तो साफ हो गया कि डब्ल्यूएचओ ने इस तरह का कोई भी बयान नहीं दिया, जिसमें दावा किया गया कि विश्व का एक भी शाकाहारी इंसान कोरोना से ग्रस्त नहीं पाया गया।
अब बात करते हैं डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि गॉडेन गालिया के बयान की, जिसमें उन्होंने कहा था, जब तक लोग मीट खाएंगे, संक्रमण का खतरा रहेगा. पड़ताल में यह तो पता चला कि यह बयान सही है लेकिन यह किसी और बात को ध्यान में रखते हुए दिया गया है. Alt News के अनुसार, गॉडेन गालिया का बयान चीन में जंगली जानवरों के बेचने और उनकी खपत के संदर्भ में था. इस बारे में सीएनएन का एक वीडियो भी है. सीएनन ने यह वीडियो बाजार में फिल्माया है. इसमें दिखाया गया था कि बिक्री के लिए वहां ज्यादा सीफूड रखा हुआ है. दिसंबर में कुछ इमेज सामने आने पर पता चलता है कि वहां पक्षियों, सांपों समेत अन्य जंगली जानवर बिक रहे थे. रिपोर्ट के अनुसार, आशंका जताई गई थी कि वायरस जानवरों से इंसानों में फैला होगा. इसमें गालिया ने कहा कि जब तक इंसान मीट खाता रहेगा, संक्रमण का खतरा बना रहेगा. हालांकि, गालिया ने मीट खाने को मना नहीं किया लेकिन उनका बयान एग्जॉटिक मीट के संदर्भ में था. अमेरिका यूएसए में एग्जॉटिक मीट का मतलब भैंस, शुतुरमुर्ग, जंगली सुअर, सांप, मगरमच्छ और वेनिसन जैसे जानवरों का मीट होता है. ये कुछ क्षेत्रों में बिकता है. वहां यह रेस्त्रां या ग्रॉसरी स्टोर्स में नहीं मिलता है.
Postmortem रिपोर्ट: The News Postmortem टीम की पड़ताल में यह चता चला कि डब्ल्यूएचओ का शाकाहारी वाला बयान फेक है, जबकि डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि गॉडेन गालिया का बयान किसी और संदर्भ में है.