7 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके राफेल भारत के अंबाला में पहुंच चुके हैं. भारतीय मीडिया में भी कुछ दिन से राफेल ही छाए हुए हैं. भाजपा समेत सभी दलों की जुबान पर राफेल का नाम है. जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत मंत्री राफेल का स्वागत कर रहे हैं, वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत ज्यादातर नेता स्वागत के साथ ही भाजपा से सवाल भी पूछ रहे हैं.

इस बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है. कांग्रेस नेता एवं कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने 28 जुलाई को अपने ट्विटर अकाउंट @AcharyaPramodk से ट्वीट किया,
अंबाला AIR BASE भी 1948 में, पंडित नेहरू ने ही बनाया था,भारत भूमि पर “राफ़ेल” पहली बार यहीं उतरेगा. #RafaleJets
इस ट्वीट को अब तक 4600 से ज्यादा लोगों ने रिट्वीट किया है जबकि 21 हजार से ज्यादा लोगों ने इसे लाइक किया है.
आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें.
इसके जवाब में Dr. Vedika @vishkanyaaaa ने लिखा,
अंबाला एयरबेस 1919 में स्थापित हुआ था. 18 जून 1938 को इसे परमानेंट एयर बेस बना दिया गया था.
1919 और 1938 में नेहरू प्रधानमंत्री नहीं थे.

The News Postmortem को फेसबुक पर कुछ ऐसी पोस्ट मिली, जिनमें यहीं दावा किया गया है. मनोज सिंह ने 28 जुलाई को एक पोस्ट की है. इसमें भी दावा किया गया है,
अंबाला AIR BASE भी 1948 में, पंडित नेहरू ने ही बनाया था,भारत भूमि पर “राफ़ेल” पहली बार यहीं उतरेगा. #RafaleJets
आर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें.
ये पोस्ट सामने आने के बाद हमने इसकी गूगल पर खोजबीन शुरू की. Wikipedia के मुताबिक, 1919 में हरियाणा के अंबाला में एयरफोर्स स्टेशन की स्थापना हुई थी. 1919 में यहां एक Flying Instruction School (FIS) भी बना था. 1938 में अंबाला एयर फोर्स स्टेशन को स्थायी बेस बना दिया गया. भारतीय वायुसेना इसका संचालन करती है. इंडियन एयरफोर्स का यह बहुत ही अहम एयरबेस है. यहां से भारत—पाक सीमा की दूरी 220 किलोमीटर है. पुलवामा पर हुए आतंकी हमले के जवाब में 26 फरवरी 2019 को मिराज फायटर जेट ने इसी एयरबेस से उड़ान भरी थी.

आज तक के अनुसार, अंबाला को पहले उमबाला कहा जाता था. 1919 में यहां पर रॉयल एयर फोर्स (आरएएफ) का 99 स्क्वाड्रन का बेस था. सितंबर 1919 में रॉयल एयर फोर्स (आरएएफ) का 99 स्क्वाड्रन उमबाला (Umbala) में बेस था. तब अंबाला को उमबाला ही कहा जाता था. बाद में 99 स्क्वाड्रन को 114 आरएफए स्क्वॉड्रन बना दिया गया. फिर 114 आरएफए स्क्वाड्रन 29 आरएफए स्क्वाड्रन में बदला. फरवरी 1939 तक यह अंबाला एयरबेस से ही संचालित होता रहा. 18 जून 1938 को इसे परमानेंट एयरबेस का दर्जा मिल गया. भारत को आजादी मिलने के बाद इंडियन एयरफोर्स के मार्शल अर्जन सिंह ने इस एयरबेस की कमान संभाली थी. 1965 और 1971 में पाकिस्तान के फाइटर जेट ने अंबाला एयरबेस पर हमला किया था, लेकिन पाकिस्तान अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सका था. बालाकोट एयरस्ट्राइक के लिए भी भी मिराज 2000 ने यहीं से उड़ान भरी थी.
Postmortem रिपोर्ट: गूगल पर काफी सर्च करने के बाद ही हमें इस बात के सबूत नहीं मिले कि अंबाला एयरबेस को 1948 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बनवाया था. अंबाला एयरबेस 1919 में बना था और 1938 में यह स्थायी एयरबेस बन गया था. इस दौरान जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री नहीं थे इसलिए यह कहना गलत होगा कि अंबाला एयरबेस को नेहरू ने बनवाया था. आचार्य प्रमोद कृष्णम का ट्वीट गलत है.